5 लाख के चेक अनादरण में आरोपी दोष मुक्त
विशिष्ठ न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट प्रकरण), चित्तौड़गढ़ पीठासीन अधिकारी रीतिका श्रोतीय आरजेएस ने 5 लाख राशि के चेक अनादरण के एक मामले में अपने निर्णय में संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्त को दोषमुक्त किया।
चित्तौड़गढ़ । विशिष्ठ न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट प्रकरण), चित्तौड़गढ़ पीठासीन अधिकारी रीतिका श्रोतीय आरजेएस ने 5 लाख राशि के चेक अनादरण के एक मामले में अपने निर्णय में संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्त को दोषमुक्त किया।
प्रकरणानुसार एराल निवासी परिवादी रतनलाल जाट पुत्र भेरूलाल ने अभियुक्त बीड़घास निवासी गणेश भील पुत्र रामा के विरूद्ध एक परिवाद इस आशय का पेश किया कि परिवादी ने अभियुक्त के पारिवारिक व व्यावसायिक वैध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये 5 लाख रुपये उधार दिये जिसके पेटे अभियुक्त का दिया गया चेक निर्धारित तिथि को बैंक में प्रस्तुत करने पर अपर्याप्त निधि के रिमार्क के साथ अनादरित हो गया। अभियुक्त के विरूद्ध अधिनियम की धारा 138 में प्रसंज्ञान लिया जाकर तलब किया गया जहाँ अभियुक्त द्वारा आरोप से इंकार कर अन्वीक्षा चाही गई।
अभियुक्त की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट प्रदीप काबरा व एडवोकेट युवराजसिंह सोलंकी ने परिवादी के दिये तर्कों का विरोध किया व तर्क दिया कि परिवादी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य पेश नहीं की जिससे अभियुक्त का उसके प्रति कोई दायित्व बनना साबित होता हो। परिवादी अभियुक्त के विरूद्ध अपना मामला संदेह से परे साबित करने में असफल रहा। दोनों पक्षों का तर्क सुनने के पश्चात् न्यायालय द्वारा अभियुक्त को आरोपित अपराध अंतर्गत धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम में संदेह का लाभ दते हुए दोषमुक्त घोषित किया।
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