चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर में मियावाकी मिनी फॉरेस्ट पर्यावरण संरक्षण के लिए नया कदम

Jun 5, 2025 - 15:25
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चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर में मियावाकी मिनी फॉरेस्ट  पर्यावरण संरक्षण के लिए नया कदम

चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर में मियावाकी मिनी फॉरेस्ट है पर्यावरण संरक्षण के लिए नया कदम

चित्तौड़गढ़ वर्तमान समय में बढ़ते शहरीकरण और कम होती हरियाली में, पेड़ लगा कर प्रकृति को पुर्नस्थापित करने के प्रयास बहुत आवश्यक है। इसी जरूरत को पूरा करने में एक विशेष तरीका है मियावाकी पद्धति। यह तरीका जापान के वैज्ञानिक डॉ. अकीरा मियावाकी ने तैयार किया है। इसमें कम जगह में अलग-अलग तरह के देशी पेड़-पौधे एक साथ लगाए जाते हैं, जिससे जंगल तेजी से बढ़ता है और अपने आप पनपने लगता है। मियावाकी जंगल सिर्फ 2-3 साल में पूरी तरह तैयार हो जाते हैं और उन्हें अधिक देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती।

हिन्दुस्तान जिंक का सफल प्रयास

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने अपने चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर में मियावाकी पद्धति का इस्तेमाल कर एक मिनी फॉरेस्ट बनाया है। इस प्रोजेक्ट का उद्धेश्य एक हेक्टेयर जमीन को घने, हरे-भरे जंगल में बदलना था। कंपनी द्वारा कुल 13,750 वृक्षारोपण किए गए, जिससे क्षेत्र में जैव विविधता को प्रोत्साहन मिला, वायुमंडल से कार्बन की मात्रा में कमी आई तथा मृदा और जल संरक्षण में सहायता प्राप्त हुई

चुनौतियाँ और समाधान

यह काम आसान नहीं था। जिस जमीन पर जंगल बनाना था, वहां ढाब यानि कि खरपतवार बहुत ज्यादा थी। लेकिन, अच्छी योजना और मेहनत से इस जगह को बदल दिया। सबसे पहले, ढाब खरपतवार को हटाया गया। फिर, मिट्टी को ढीला किया गया और उसमें खाद, गोबर और केंचुए की खाद मिलाकर उपजाऊ बनाया गया। इसके बाद, 45 से अधिक तरह के कुल 13,750 देशी पेड़-पौधे लगाए गए, जिनमें बड़े पेड़, छोटे पेड़ और झाड़ियाँ शामिल थीं।

इस मिनी फॉरेस्ट से आने वाले समय में कई बड़े फायदे होंगे।

हवा से कार्बन की मात्रा में कमी आएगी, मिट्टी और पानी का संरक्षण बेहतर होगा। यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि पारंपरिक बागवानी की तुलना में इसमें अगले 10 वर्षों में लगभग 75 प्रतिशत तक कम खर्च आने की संभावना है। यहां की जैव विविधता (अलग-अलग तरह के जीव-जंतु और पेड़-पौधे) भी बढ़ेगी।

भविष्य की योजनाएँ

चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर इस जंगल को बनाए रखने और और बेहतर बनाने के लिए नियमित रूप से पानी, खाद, खरपतवार हटाने और वहां की जैव विविधता की जांच करता रहेगा। कंपनी का लक्ष्य है कि यह जंगल अगले 2-3 सालों में पूरी तरह से अपने आप पनपने लगे। मियावाकी मिनी फॉरेस्ट प्रोजेक्ट एक बेहतरीन उदाहरण है कि किस प्रकार सही योजना, पर्यावरण के प्रति लगन और नए तरीकों से अनउपयोगी जमीन को फिर से हरा-भरा बनाया जा सकता है। यह देश भर में सस्टेनेबल औद्योगिक प्रथाओं के लिए एक प्रेरणा है।

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Avinash chaturvedi

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