राजस्थान के 12 संगठनों ने मिलकर किया फेडरेशन का गठन, निजी स्कूलों के हितों की रक्षा के लिए करेंगे सामूहिक प्रयास
सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त कराने और उनके हितों की रक्षा के उद्देश्य से राजस्थान की गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के राज्य स्तरीय 12 संगठनों ने एक मंच पर आकर संयुक्त फोरम प्राइवेट स्कूल्स फेडरेशन का गठन किया है।
चित्तौड़गढ़। सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त कराने और उनके हितों की रक्षा के उद्देश्य से राजस्थान की गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के राज्य स्तरीय 12 संगठनों ने एक मंच पर आकर संयुक्त फोरम प्राइवेट स्कूल्स फेडरेशन का गठन किया है। यह फेडरेशन स्वच्छ शिक्षा क्रांति मिशन के अंतर्गत गठित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य निजी शिक्षण संस्थानों की समस्याओं का समाधान करना और शिक्षा क्षेत्र में समान अवसर सुनिश्चित करना है।
फेडरेशन के सचिव गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि जयपुर में आयोजित एक मैराथन बैठक में राज्य के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में 10 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई और प्रारंभिक चरण में 5 विषयों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया। इनमें अवकाश के अधिकार की पुनर्स्थापना, टीसी के अधिकार की सुरक्षा, आरटीई की यूनिट कॉस्ट में वृद्धि एवं बकाया भुगतान, फीस एक्ट की विसंगतियों को दूर करना तथा डमी स्कूलों व कोचिंग संस्थानों पर अंकुश लगाना शामिल है।
फेडरेशन की अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने बताया कि इस फेडरेशन में स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ, राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ, पैपा, स्कूल क्रांति संघ, स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन (स्वराज), इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन एंड वेलफेयर सोसाइटी, प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संरक्षण समिति, न्यू ऑल राजस्थान स्कूल एसोसिएशन और गैर सरकारी विद्यालय वेलफेयर संगठन जैसे प्रमुख संगठन शामिल हुए हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (NISA) की राजस्थान इकाई ने भी फेडरेशन में शामिल होने की सहमति दी है।
फेडरेशन के कोषाध्यक्ष हरभान सिंह कुंतल ने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से 7 सदस्यीय बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, 7 सदस्यीय एडवाइजरी बोर्ड एवं 25 सदस्यीय प्रबंधकारिणी का गठन किया गया। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में एल. सी. भारतीय (जयपुर), कैलाश शर्मा (अजमेर), डॉ. महेंद्र कर्णावट (राजसमंद), एडवोकेट संजय शर्मा (कोटा), महेश गुप्ता (कोटा), डॉ. मुकेश माण्डन (जोधपुर) और डॉ. दिलीप मोदी (झुंझुनू) को शामिल किया गया। एडवाइजरी बोर्ड में गोपीदास रामावत (पाली), बाबूलाल जुनेजा (हनुमानगढ़), विलियम डिसूजा (उदयपुर), रेणुदीप गौड़ (भरतपुर), विनेश शर्मा (नागौर), डॉ. रामवीर सिंह डागुर (भरतपुर) और सुभाष स्वामी (बीकानेर) को सदस्य बनाया गया।
सर्वसम्मति से गठित प्रबंधकारिणी में अध्यक्ष हेमलता शर्मा (जयपुर), सचिव गिरिराज खैरीवाल (बीकानेर), कोषाध्यक्ष हरभान सिंह कुंतल (भरतपुर), वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिलीप पोखरना (चित्तौड़गढ़), भूपराम शर्मा (जयपुर), अमित सोगानी (जयपुर), डॉ. अनिल धानुका (सूरतगढ़), उपाध्यक्ष भरत कुमार भाटी (ब्यावर), के. एन. भाटी (जालौर), मदनलाल वर्मा (झालावाड़), शिवहरि शर्मा (नाथद्वारा), सह सचिव जयशंकर त्रिवेदी (पाली), लोकेश जैन (देवली), डॉ. आनंद थोरी (बाड़मेर) और लोकेश कुमार मोदी (बीकानेर) को चुना गया।
फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिलीप पोखरना (चित्तौड़गढ़) ने बताया कि शीघ्र ही राज्यस्तरीय विस्तारित बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें राजस्थान के सभी जिलों के प्राइवेट स्कूल लीडर्स को फेडरेशन से जुड़ने का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मंच निजी शिक्षण संस्थानों के अधिकारों की रक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के लिए एक सशक्त सामूहिक आवाज़ के रूप में कार्य करेगा।
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