करवा चौथ पर 100 वर्षों बाद महासंयोग बना
A great coincidence occurred on Karwa Chauth after 100 years.

*करवा चौथ पर 100 वर्षो बाद बन रहे महासंयोग में सुहागिनों को मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
हिन्दू धर्म में प्रति वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रख चंद्रमा की पूजा करती हैं जो कि इस वर्ष शुक्रवार , 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा । करवा चौथ पर भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश और कार्तिकेय जी के अलावा करवा माता की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था । इसके अलावा कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था । करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य माना जाता है ।
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की 100 वर्षो बाद करवा चौथ पर दुर्लभ ज्योतिषीय योगो का निर्माण हो रहा है जो दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यंत शुभ है । ज्योतिषीय गणना के आधार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस तिथि शिव पार्वती कैलाश पर विराजमान होकर नंदी की सवारी करेंगे । मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ करने से व्रती को दोगुना फल प्राप्त होता है । इस योग में चंद्रमा को अर्घ्य देने से सुहागिन महिलाओं की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी । साथ ही इस दिन कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के साथ शुक्र आदित्य योग करवा चौथ को और भी खास बना रहा है ।
*करवा चौथ शुभ मुहूर्त*
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि गुरूवार, 09 अक्टूबर को रात्रि10बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार ,10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी ।इसी प्रकार 10 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 13 मिनट पर रहेगा ।
करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06 बजकर 19 मिनट से शाम 08 बजकर 13 मिनट तक
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त- शाम 05 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक ।
व्रत पारण - शाम 06:25 से रात्रि 08:15 बजे तक ।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 57 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक ।
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक ।
*ये रखे विशेष ध्यान-*
सुहागिने सोलह श्रृंगार कर पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि विधान से पूजा कर उनको गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करे एवं श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पुड़ी का भोग लगाए । इसी प्रकार चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आटे का दीपक जलाएं। उस दीपक को अपनी छलनी की ओट में रखें। करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दें। कलश में चांदी का सिक्का और चावल के दाने डालकर अर्घ्य दें साथ छलनी में अपने पति का मुख देखकर पति के हाथों से ही व्रत का पारण करें
*करवा चौथ व्रत मंत्र - 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'*
What's Your Reaction?






