दिवाली पर हंस एवं बुधादित्य राजयोग में की जाएगी माँ लक्ष्मी की उपासना
इस बार अमावस्या तिथि दो दिवसों के मध्य घटित हो रही है, किन्तु प्रदोष काल के महात्म्य के आधार पर दिवाली पर्व सोमवार ,20 अक्टूबर को मनाया जाना ज्यादा शास्त्र सम्मत है ।

दिवाली पर हंस एवं बुधादित्य राजयोग में की जाएगी माँ लक्ष्मी की उपासना
सनातन धर्म में दीपोत्सव के अंतर्गत दिवाली पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है । इस बार अमावस्या तिथि दो दिवसों के मध्य घटित हो रही है, किन्तु प्रदोष काल के महात्म्य के आधार पर दिवाली पर्व सोमवार ,20 अक्टूबर को मनाया जाना ज्यादा शास्त्र सम्मत है । इसी प्रकार बुधवार ,22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा( अन्नकूट) एवं गुरूवार 23 अक्टूबर को भाई दूज (यम द्वितीया)पर्व मनाया जा सकेगा ।
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष दिवाली पर कई दुर्लभ योग निर्मित हो रहे रहे है इस दिन बृहस्पति देव अपनी उच्च की राशि कर्क में गोचर करके हंस नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। तुला राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग निर्मित हो रहा है। कन्या राशि में शुक्र और चंद्र की युति कलात्मक योग एवं न्याय के देवता शनि देव इस दिन वक्री चाल में मीन राशि में होने से व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य सुख संतान की प्राप्ति , उत्तम स्वास्थ्य लाभ,पराक्रम वृद्धि और सर्व बाधा निवारण का संचार होता हैं ।
*लक्ष्मी गणेश पूजन शुभ मुहूर्त*
ज्योतिषीय गणना के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया कार्तिक अमावस्या सोमवार ,20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होकर मंगलवार , 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी । धार्मिक मान्यताओ के अनुसार की दीपावली तिथि एवं लक्ष्मी पूजा का निर्धारण का मुख्य प्रत्यय प्रदोष व्यापिनी व अर्ध रात्रि की उपासना पर आधारित है अर्थात अमावस्या तिथि में अर्ध रात्रि और स्थिर लग्न मिले तब ही लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ माना गया है । वृष व सिंह लग्न 20 अक्टूबर 2025 की रात्रि में प्राप्त होंगे अतः इस दिन महालक्ष्मी पूजन अत्यंत उत्तम रहेगा । तदापि देश , काल एवं स्थान के आधार पर मंगलवार, 21 अक्टूबर ,2025 को भी प्रतिपदा लगने से पूर्व शुभ मुहूर्त एवं चोघडिये में लक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा । फेक्ट्री ,दुकान एवं अन्य प्रतिष्ठानों में भी पूजन सोमवार ,20 अक्टूबर को शास्त्रसम्मत है । मंगलवार को वक्री शनि की उपस्थिति धननाशक हो सकती है ।
*शुभ मुहूर्त (सोमवार ,20 अक्टूबर 2025 )*
रूप चौदस का स्नान मुहूर्त: प्रात: 04:46 से 06:25 तक ।
गोधुली मुहूर्त: शाम 05:57 से 06:22 तक।
संध्या पूजा: शाम 05:57 से 07:12 तक।
प्रदोष काल- शाम 05:57 से 08:27 के बीच।
वृषभ काल- रात्रि 07:23 से 09:22 के बीच।
निशीथ काल पूजा : रात्रि 11:47 से 12:36 तक।
सिंह लग्न: रात्रि 1:38 से 3:56 तक ।
*शुभ मुहूर्त (मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025)*
जो जातक महालक्ष्मी पूजन मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025को करना चाहते है वे प्रातः दान तर्पण आदि से निवृत होकर प्रातः 10:50 से 12:15 तक एवं दोपहर 03:10 से 04:30 के मध्य पूजन कर सकते है । उदयपुर संभाग में सूर्यास्त 05:59 पर ही हो जाएगा अतः इस दिन प्रदोषकाल का अभाव रहेगा ।
*गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट के शुभ मुहूर्त (बुधवार 22 अक्टूबर 2025)*
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे से ।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 08:16 बजे ।
प्रातःकाल मुहूर्त- सुबह 06:26 से 08:42 तक।
सायाह्नकाल मुहूर्त- अपराह्न 03:29 से शाम 05:44 तक ।
गोधूली मुहूर्त- शाम को 05:44 से 06:10 तक।
*भाई दूज शुभ मुहूर्त (गुरूवार 23 अक्टूबर 2025)*
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 08:16 से।
द्वितीया तिथि समाप्त- 23 अक्टूबर 2025 को रात्रि 10:46 बजे तक।
अपराह्न मुहूर्त - दिन में 01:13 से 03:28 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:43 से 12:28 तक ।
विजय मुहूर्त: अपराह्न 01:58 से 02:43 तक।
ये करे विशेष उपाय –
दिवाली पर लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।दिवाली पर देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घरों साफ-सुथरा कर मुख्य द्वार को हल्दी और कर्पुर मिश्रित रंगोली, फूल और दीयों से सजाएं। दिवाली की रात पूजा करने के बाद चांदी के बर्तन में कपूर जलाकर लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। आर्थिक और शारीरिक लाभ हेतु दीपावली की शाम को पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाए। पूजा के समय कच्चे चने की दाल मां लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।इस दिन घर के कोने में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर से दरिद्रता एवं भूत-प्रेत से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। लक्ष्मी की पूजा के बाद रात्रि जागरण कर विष्णु सहस्त्रनाम एवं कनकधारा स्त्रोत अथवा श्रीसूक्त का पाठ करे ।
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