आगम जिनशासन का अनमोल खजाना है:जय श्रीजी म सा
चित्तौड़गढ़ ओजस्वी वक्ता जय श्री जी म सा ने पर्युषण पर्व के सातवें दिन आज खातर महल में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आगम जिन शासन की अनमोल निधि,खजाना और अनमोल औषधि है ।

क्रोध कभी अकेला नहीं बल्कि अपने परिवार समेत आता है
तेवर और जेवर संभालकर रखने चाहिए :राज श्री जी म सा
चित्तौड़गढ़ ओजस्वी वक्ता जय श्री जी म सा ने पर्युषण पर्व के सातवें दिन आज खातर महल में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आगम जिन शासन की अनमोल निधि,खजाना और अनमोल औषधि है । अध्यात्म की साधना के लिए पर्युषण पर्व एक राजमार्ग की तरह है जिस पर चलकर जीवन को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने एवंत कुमार की कथानक का जिक्र करते हुए कहा कि बालक एवंत कुमार ने गौतम स्वामी को देखा तो बालक के मन में जिज्ञासा के भाव उमड़े और उसने गौतम स्वामी की उंगली पकड़कर उनको राजमहल में ले जाकर गोचरी कराई एवं गौतम स्वामी के साथ प्रभु भगवान महावीर स्वामी के विराजित स्थल पर गए जहां प्रभु महावीर स्वामी ने एवंत कुमार को देखकर अनुमान लगा लिया कि यह भव्य आत्मा है और उसको धर्मदेशना प्रदान की ।धर्म देशना सुनकर एवंत कुमार को वैराग्य हो गया और उसने माता-पिता की आज्ञा लेकर संयम अंगीकार किया। महासती जयश्री जी म सा ने कहा कि कभी भी देव, धर्म, गुरु एवं शास्त्र की निंदा नहीं करनी चाहिए। किसी भी देव की निंदा करने से घर परिवार में दरिद्रता आती है, धर्म की निंदा करने से कुल का क्षय होता है,गुरु की निंदा करने से नरक जाने का द्वार खुल जाता है और शास्त्र की निंदा करने से मूर्खता आ जाती है। उन्होंने पर्युषण को द्वेष,कटुता को खत्म करने का पर्व बताया और कहा कि संवत्सरी के इस महान पर्व पर जिससे भी विरोध है उससे मिलकर क्षमायाचना कर लेना चाहिए।मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसका जहर उसके दांतों में नहीं उसकी बातों में होता है। जय श्री जी म सा ने मंगलवार को संवतसरी पर्व पर अधिक से अधिक उपवास करने का आव्हान किया।
श्रमण संघ सहमंत्री सुधीर जैन ने विज्ञप्ति में बताया कि राजश्री जी म सा ने कहा कि क्रोध पर नियंत्रण करना है तो एक मंत्र को जीवन में ग्रहण कर लो ,"शांति चाहिए तो शांत रहो" ।क्रोध से दिमाग का दीवाना निकल जाता है क्रोध चेहरे की हंसी और खुशी गायब कर देता है शांति छीन लेता है पिछले जन्मों के कर्मों को तो हम नहीं बदल सकते हैंकिंतु क्रोध पर विजय प्राप्त कर शांति को धारण करके इस भव को सार्थक कर सकते हैं।सभी को पता है कि क्रोध करने से नुकसान होता है, हानि होती है फिर भी व्यक्ति गुस्सा करता है। घरों में सभी तरह के रूम बनाए जाते हैं लेकिन घर में एक कंट्रोल रूम भी होना चाहिए । जब व्यक्ति आउट ऑफ कंट्रोल हो जाए तो कंट्रोल रूम में जाकर अपना गुस्सा कंट्रोल कर ले।
क्रोध कभी अकेला नहीं आता है ।क्रोध अपने पूरे परिवार के साथ आता है ।क्रोध की मां उपेक्षा, पिता घमंडीराम ,पत्नी निंदा,पुत्र बैर और विरोध , नकचढी बहन जिद और जमाई राजा स्वार्थ ,सबको साथ लेकर आता है ।और ये सब मिलकर आदमी के जीवन को खराब कर देते हैं ।जिसको ज्यादा क्रोध आता हो उसे घर की मुख्य दीवार पर "हे जीव शांत रहो" का बोर्ड लगा कर रखें ।बार-बार यह संदेश लिखा नजर आएगा तो क्रोध पर नियंत्रण करने की आदत बन जाएगी। तेवर और जेवर हमेशा संभाल कर रखने चाहिए।यह दोनों चीज प्रदर्शन की वस्तु नहीं होती है लेकिन आज विडंबना यह है कि व्यक्ति घर में तो ठंडक के लिए कूलर और ऐ .सी चला कर रखता है और दिमाग में क्रोध का हीटर जलाकर खुद की ऐसी तैसी कर रहा है। अच्छा ये होगा कि आप क्रोध को कहना सीखें कि तेरी ऐसी की तैसी । क्रोध और क्षमा को अगर हम बहुत संक्षिप्त में परिभाषित करें तो कह सकते हैं कि "" क्रोध दीवाला है और क्षमा दिवाली है।"तूफान और गुस्सा जब जाते हैं तब पता लगता है कि कितनी नुकसान हुआ है। गुस्से में आदमी का खून जहर बन जाता है। रविवार को हुई फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में 55प्रतिभागियों में से ग्रुप ए में हर्ष पटवारी प्रथम,शुभी भड़कत्या द्वितीय, आरव मेहता और उन्नति जैन तृतीय रहे।
ग्रुप बी में तेजस्विनी भड़कत्या प्रथम,अर्णव चोपड़ा द्वितीय और हीरल जैन तृतीय रहे।ग्रुप सी में नेहा सिप्पाणी प्रथम,नम्रता भड़कत्या द्वितीय और पायल कर्णावत व पदमा पगारिया तृतीय रहे। आज धर्म सभा में 21 अठाई तप के पचकान लिए गए। अनंत चतुर्दशी से चंद्रकला तप प्रारंभ होगा । रविवार को सामूहिक दया व्रत का कार्यक्रम रहा।
धर्मसभा का संचालन संघ मंत्री सुनील बोहरा ने किया। रेखा जारोली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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