चित्तौड़ गाथा में युवाओं का उमड़ा सैलाब देश चित्तौड़ से सीखे कर्तव्य का पाठ – राजवीर
युवाओं का जोश और मेवाड़ की गाथाओं की गूंज उस समय चरम पर थी, जब ‘चित्तौड़ गाथा’ कार्यक्रम में इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने तर्कों और तथ्यों के साथ विकृत इतिहास को चुनौती दी। मुख्य वक्ता इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने कहा कि हमें इतिहास का वह पक्ष पढ़ाया गया जिसमें केवल पराजय दर्ज थीं, जबकि हमारी गौरवमयी विजयों को भुला दिया गया। चित्तौड़ मध्यकाल से पहले भी था और बाद में भी मजबूती से खड़ा रहेगा। मेवाड़ की विशेषता यही है कि वह गिरकर भी उठता है और फिर लड़ता है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य का पाठ पूरे देश को मेवाड़ और विशेषकर चित्तौड़ ही सिखा सकता है।

चित्तौड़ गाथा में युवाओं का उमड़ा सैलाब
ऑडिटोरियम छोटा पड़ा, बाहर तक रही भीड़
देश चित्तौड़ से सीखे कर्तव्य का पाठ – राजवीर
चित्तौड़गढ़। इतिहास को जानने की प्यास और गौरव गाथा को सुनने का जुनून रविवार को चित्तौड़गढ़ में इस कदर उमड़ा कि इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम छोटा पड़ गया और बाहर तक भीड़ उमड़ आई। युवाओं का जोश और मेवाड़ की गाथाओं की गूंज उस समय चरम पर थी, जब ‘चित्तौड़ गाथा’ कार्यक्रम में इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने तर्कों और तथ्यों के साथ विकृत इतिहास को चुनौती दी। मुख्य वक्ता इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने कहा कि हमें इतिहास का वह पक्ष पढ़ाया गया जिसमें केवल पराजय दर्ज थीं, जबकि हमारी गौरवमयी विजयों को भुला दिया गया। चित्तौड़ मध्यकाल से पहले भी था और बाद में भी मजबूती से खड़ा रहेगा। मेवाड़ की विशेषता यही है कि वह गिरकर भी उठता है और फिर लड़ता है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य का पाठ पूरे देश को मेवाड़ और विशेषकर चित्तौड़ ही सिखा सकता है।
लोकतंत्र का पुरोधा मेवाड़
राजवीर ने श्रोताओं से सीधे संवाद के दौरान कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा पाठ देश को मेवाड़ से मिला है। महाराणा प्रताप को गद्दी पर बैठाने का निर्णय जनता ने लिया था, न कि केवल राजवंश की परंपरा ने। उन्होंने हाल ही में संसद में महाराणा सांगा के योगदान पर सवाल उठाने वाले एक सांसद की सोच पर गहरा रोष जताया और कहा कि सांगा जैसे ओजस्वी व्यक्तित्व पर प्रश्न खड़े करने वाले विकृत मानसिकता के लोग हैं। मेवाड़ की जनता को अब ऐसे लोगों की सोच सुधारने का बीड़ा उठाना होगा।
प्रताप कोरिडोर से लौटेगा स्वर्णिम इतिहास : सांसद जोशी
मुख्य अतिथि सांसद सी.पी. जोशी ने कहा कि हमारी विरासत और इतिहास को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाना हमारी जिम्मेदारी है। संसद में चित्तौड़ का प्रतिनिधि होने के नाते मैंने हमेशा इसके विकास और गौरव को सहेजने का प्रयास किया है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि शीघ्र ही प्रताप कोरिडोर के माध्यम से मेवाड़ का स्वर्णिम इतिहास लौटेगा।
कार्यक्रम में चित्तौड़ गौरव तीर्थ प्रन्यास के अध्यक्ष पुष्कर नरानिया ने कहा कि हमारा संकल्प चित्तौड़ को तीर्थराज के रूप में प्रतिष्ठित करना है। ट्रस्टी प्रो. सुशीला लड्ढा ने भी विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. ओमेंद्र रत्नू ने धरोहरों की उपेक्षा पर चिंता जताई और श्रोताओं से दुर्ग के गौरवमयी पुनरुद्धार का संकल्प करवाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोपाल जाट और निष्ठा नरानिया ने सयुंक्त रूप से और कार्यक्रम का आभार संस्थान के ट्रस्टी श्रवण सिंह राव ने व्यक्त किया। ललिता राठौड़ और निशा शर्मा ने ओजस्वी काव्य गीत प्रस्तुत किए जबकि संतोष मल्होत्रा ने वंदेमातरम् से समापन कराया। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष रतन गाडरी, पुलिस उपाधीक्षक विनय पारीक, सैनिक स्कूल उपाचार्य ले. कर्नल पारुल श्रीवास्तव, ब्रिगेडियर हर्षवर्धन सिंह (सेवानिवृत), ट्रस्टी अरिहंत सिंह चरडास, वीरेंद्र सिंह तलावदा, जौहर स्मृति संस्था के अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह, भोपाल राजपूत छात्रावास के अध्यक्ष नरपतसिंह भाटी, अनिल सिसोदिया, अनंत समदानी, प्रधान देवेन्द्र कंवर, रघु शर्मा, पवन शर्मा, प्रशांत शर्मा] संजू लढ़ा, जीवन चौधरी, घनश्याम लोट, गोविन्द गुर्जर, अविनाश शर्मा, छोटू माली, धीरज सुखवाल, अभिषेक चावला, जितेंद्र शर्मा, सुभाष शर्मा, प्रवीण सिंह राव, देवकिशन जाट, मंगल अहीर, यशपाल रायका, श्रवण जाट, प्रमोद राजपुरोहित, लोकेश त्रिपाठी, चेतन गोड़, मुकेश गुर्जर, रामलाल जाट अनेक गणमान्य नागरिक और विद्यार्थी मौजूद रहे।
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