देवगुरु बृहस्पति-सूर्य की युति एवं इंद्र योग में मनाई जायेगी गुरुपूर्णिमा*

सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा अथवा व्यास पूर्णिमा श्रद्धा और समर्पण का पर्व है। यह पर्व मुख्यतः आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है

Jul 8, 2025 - 18:40
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देवगुरु बृहस्पति-सूर्य की युति एवं  इंद्र योग में मनाई जायेगी गुरुपूर्णिमा*

देवगुरु बृहस्पति-सूर्य की युति एवं इंद्र योग में मनाई जायेगी गुरू पूर्णिमा

सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा अथवा व्यास पूर्णिमा श्रद्धा और समर्पण का पर्व है। यह पर्व मुख्यतः आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है जो की इस बार गुरूवार ,10 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी । मान्यताओ के अनुसार वेद व्यास जी चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता रहे अत: गुरु पूर्णिमा के दिन उन्हें आदि गुरु मानते हुए पूजन किया जाता है, कुछ स्थानों पर इस दिवस पर भगवन विष्णु एवं शिव को भी गुरु के रूप में स्वीकार कर पूजन किया जाता है । भगवान बुद्ध ने इसी दिन धर्म चक्र परिवर्तन सूत्र का आरंभ किया था। गुरुपूर्णिमा दिवस पर भारतवर्ष में पीठाधीश्वर एवं सक्षम गुरुओ द्वारा इस दिवस पर अष्टम रहस्य दीक्षा से योग्य शिष्य को पारंगत किया जाता है, जिसमे समय ,ज्ञान ,मार्ग, शांभवी, चक्र जागरण, विद्या, शिष्याभिषेक, पूर्णाभिषेक दीक्षा आदि सम्मिलित है ।   

वैदिक पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई रात 02 बजकर 43 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन यानी 11 जुलाई रात्रि 01 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी इस प्रकार उदयातिथि के अनुसार गुरूवार, 10 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी । 

*शुभ मुहूर्त –* 

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:10–4:50 बजे ।

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59–12:54 बजे ।

विजय मुहूर्त: दोपहर 12:45–3:40 बजे ।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:21–7:41 बजे ।

यह बन रहे शुभ संयोग –

इस बार गुरु पूर्णिमा पर कई शुभ योग का महासंयोग बन रहा है। इस तिथि पर इंद्र योग बन रहा है जो कि प्रातः 05 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 9 बजकर 38 तक रहेगा । साथ ही भद्रा का भी असर रहेगा, लेकिन यह भद्रा पाताल लोक में रहने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा खास बात यह है की इस बार मिथुन राशि में देव गुरु बृहस्पति एवं आध्यात्म के कारक सूर्य युति बना रहे है , जबकि पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र होने से इसके स्वामी दैत्य गुरु शुक्र के होने से गुरु पूर्णिमा और विशेष बन गयी है । मान्यता है की इन योगो में गुरु दीक्षा लेने से मोक्ष की प्राप्ति संभव है ।

*ये करे गुरु पूर्णिमा पर –*

कल युग में गुरु एवं गुरु कृपा इतनी सहज नहीं है , तदापि मान्यताओ के आधार पर यदि गुरु प्राप्ति हो जाए तो उनसे श्री गुरु पादुका मंत्र लेने की यथाशक्ति कोशिश करें। यही वह मंत्र है जिससे पूर्णता प्राप्त होगी। साथ ही इस दिन गुरु पादुका पूजन कर गुरु दर्शन करें। सक्षम गुरु को नेवैद्य, दक्षिणा, वस्त्रादि भेंट प्रदान कर आरती करें तथा उनके चरणों में बैठकर उनकी कृपा प्राप्त करें । यदि गुरु के समीप जाने का अवसर न मिले तो उनके चित्र, पादुकादि प्राप्त कर उनका पूजन करें। गुरु न होने की स्थिति में भगवान शिव और विष्णु की गुरु स्वरूप मानकर पूजा करनी चाहिये ।

गुरु गायत्री मंत्र - ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात् 

*सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान योग में सावन माह की होगी शुरुआत*

आषाढ़ माह के बाद श्रावण मास प्रारंभ होता है। इस बार सावन मॉस का प्रारंभ अत्यंत शुभ संयोगों के साथ हो रहा है जिसमे पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग बन रहे हैं, जो सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाले माने जाते हैं। उदया तिथि के आधार पर सावन मास शुक्रवार 11 जुलाई से शनिवार 09 अगस्त तक रहेगा, जिसमे शिव भक्तो को चार सावन सोमवार का अवसर प्राप्त होगा। सनातन परंपरा के अनुसार तिथि की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है। 

*सावन सोमवार की तिथियाँ :-* 

• 1. प्रथम श्रावण सोमवार व्रत - 14 जुलाई 2025

• 2. द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत - 21 जुलाई 2025

• 3. तृतीय श्रावण सोमवार व्रत - 28 जुलाई 2025

• 4. चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत - 04 अगस्त 2025

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Avinash chaturvedi

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